समय की वंदगी बिन सुख न मिलता,
रहे जब साथ जीवन पुष्प खिलता।
समय के साथ जो चलता नहीं है,
मुकद्दर का दिया जलता नहीं है।
नहीं बलवान कोई वक्त जैसा,
समय से आज तक जीता न पैसा।
समय अभिमान को टिकने न देता ,
दिखा औकात बन जाता विजेता।
कहें ज्ञानी समय के साथ चलना,
पड़े रवि को उसी के साथ ढलना।
समय से मित्रता उन्नति दिलाये,
वही तो खार को मखमल बनाये।
– मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश