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‘राष्ट्रीय कवि संगम’ देहरादून के तत्वावधान में हुई मासिक काव्य गोष्ठी

neerajtimes.com, देहरादून- ‘राष्ट्रीय कवि संगम’ महिला इकाई महानगर, देहरादून के तत्वावधान में मासिक काव्य गोष्ठी डॉ. क्षमा कौशिक के निवास स्थान, व्योमप्रस्थ में संम्पन्न हुई। आज की गोष्ठी में मुख्य अतिथि श्रीमती मंजू श्रीवास्तव रही। गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. क्षमा कौशिक द्वारा की गयी। विशिष्ट अतिथियों में ‘राष्ट्रीय कवि संगम’ के क्षेत्रीय महामंत्री श्रीकांत महिमा  जसवीर हलधर  एवं मणि अग्रवाल ‘मणिका’  की गरिमामई उपस्थिति रही।

गोष्ठी का संचालन ‘राष्ट्रीय कवि संगम’ महिला इकाई की महामंत्री कविता बिष्ट द्वारा किया गया। गोष्ठी का शुभारंभ डॉ. क्षमा कौशिक  द्वारा सरस्वती वंदना से हुआ। राष्ट्रीय कवि संगम महिला इकाई महानगर की अध्यक्ष डॉ.इंदु अग्रवाल की कमी महसूस हुई।  तत्पश्चात काव्य पाठ की धारा में सभी  ने अपनी सुंदर-सुंदर प्रस्तुतियों से मंच को शोभायमान बनाया। श्रीकांत ‘श्री’ जी ने “सच कहता हूँ, सच कहना हर युग में है अनुबंधित” जैसा सुंदर गीत सुनाया। महिमा ने श्री राम जी की महिमा सुना कर सबका मन मोह लिया। मुख्य अतिथि मंजू श्रीवास्तव की रचना मधुशाला और धरा निहारें गगन मगन चाँद चमकता गगन’  सुनकर सभी ने खूब आनंद उठाया।  दुष्यंत पुरस्कार से सम्मानित ओज के कवि जसवीर हलधर ने देश भक्ति की पंक्तियों “राष्ट्र गरिमा का सभी को भान होना चाहिए” जैसे सारगर्भित छंद सुना कर आत्मविभोर किया। मणि अग्रवाल  की प्रेम भरी ग़ज़ल “उसकी आँखों में प्यार देखा है” ने दिल छू लिया। कविता बिष्ट ने “अंग धारी धनु वाण दिव्य ज्योति शक्ति प्राण”श्री राम  पर छंद प्रस्तुत किया। रेखा की रचना “हर सीता जब जाग उठेगी, नहीं बनेगी कोई लंका” बहुत ही प्रेरणादायी रही। नीरू गुप्ता ‘मोहिनी’ ने श्री कृष्ण जी पर गीत सुनाकर कुछ क्षण के लिए सभी को कृष्ण भक्ति में लीन कर दिया। झरना माथुर ने श्रृंगार रस गीत “सजना जी रूठे हैं कैसे मनाऊँ” सुनाया जो बहुत ही प्यारा था। पूनम बडोला जी ने बड़े ही सरल शब्दों में प्रेम में डूबी नायिका के विषय में पढ़ा। नेत्रा ने स्त्री श्रृंगार पर अपनी रचना प्रस्तुत की और खूब वाह-वाही लूटी। सभी की सुंदर रचनाओं के वाचन से पटल सुशोभित हुआ और उत्कृष्ट काव्य पाठ हेतु स्नेह तथा शुभकामनाएं प्राप्त हुई। डॉ. क्षमा कौशिक ने अध्यक्षीय उद्बोधन से गोष्ठी को पूर्णिता प्रदान की, और अपनी रचना के वाचन में “दुनिया दो दिन का मेला ना तू किसी का ना कोई तेरा” सुनाकर मन को हर्षित कर दिया। सभी की रचनाओं से आज की सफ़ल मासिक गोष्ठी में चार चाँद लग गए।

सफल एवं सुंदर आयोजन हेतु सभी वरिष्ठ कवि एवं कवयित्रियों को  हार्दिक बधाई देते हुए गोष्ठी का विधिवत समापन हुआ।

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