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इक नजर देखो — अनिरुद्ध कुमार

भुला नफरत रहें मिलके मुहब्बत का असर देखो,

जमाना प्यार का भूखा जरा दिलमें पसर देखो।

 

इसे हीं जिंदगी समझो सदा दिल को सुकूँ देगा,

समझले बंदगी इसको इबादत का असर देखो।

 

तमस चारों तरफ हाबी शहर बेजान सा लगता,

जरा सा हो उजाला तब निगाहों में चहर देखो।

 

खुशी से झूम जाये दिल लबों पे प्यार की लाली,

मिटे दिल से गिले शिकवे यहाँ पे फिर बसर देखो।

 

दिखे हर फूल में रौनक बहारों का पसारा हो,

लगे मस्ती नजारों में महक उट्ठे अतर देखो।

 

खुशी के रंग में जादू ठिकाना यह भरोसे का,

नहीं बहके कदम कोई ग़ज़ल थिरके लहर देखो।

 

यही अनि की तमन्ना है गुले गुलनार हो जाये,

मिटा नफरत रहें मिलके कहें की इक नजर देखो।

– अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड

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