(ये उत्तराखंड हमारा भाग -3)
पर्वत,घाटी,नद,झरनों का, अनुपम है यहां नजारा ।
ये उत्तराखंड हमारा , ये उत्तराखंड हमारा ।।
अल्मोड़ा, बागेश्वर में तो, कुछ खास कहानी मिलती हैं।
कुछ गुप्त वंश के शासन की,अनमोल निशानी मिलती हैं ।
लोहा, तांबा, सीसा,खड़िया, चूने की खानें मिलती हैं ।
बजरी,रेता,पत्थर वाली हर ओर खदानें मिलती हैं ।
खुलता है मानसरोवर का कैलाश धाम का द्वारा ।।
ये उत्तराखंड हमारा —1
कुछ शहर हमारी घाटी के ,दुनिया में जाने जाते हैं ।
ये नैनीताल ,मसूरी तो, जग में पहचाने जाते हैं ।
हर की पौड़ी से काबड़िए ,गंगा जी का जल भरते हैं ।
मुनि की रेती में संन्यासी, हठ योग साधना करते हैं ।
सैलानी आते खूब यहां ,होटल हैं पांच सितारा ।।
ये उत्तराखंड हमारा —–2
मैदानों में गेहूं ,गन्ना ,चावल की खेती होती है ।
देहरा का बासमती चखने ,दुनिया ये स्वप्न संजोती है ।
अदरक ,हल्दी ,राई ,पालक घाटी में पैदा होते हैं ।
जैविक खेती पर जोर यहां , आलू, जौ, सरसों बोते हैं ।
कलियर में बैठा एक पीर ,गंगा की नहर किनारा ।।
ये उत्तराखंड हमारा —-3
तेरह जनपद से बना प्रांत ,हर वर्ग यहां पर रहता है ।
जो भी आता है एक बार , वो स्वर्ग इसी को कहता है ।
भोले भाले हैं लोग यहां , अथिती की सेवा करते हैं ।
मंडुवे की रोटी मक्खन से,हर रोज कलेवा करते हैं ।
कंकर,कंकर शिवशंकर है,भोले बाबा का नारा ।।
ये उत्तराखंड हमारा —-4
कृषि के विश्व विद्यालय हैं अभियंत्रण के संस्थान यहां ।
आईएमए ,एफआरआई जैसे शिक्षण के संस्थान यहां ।
गढ़वाल, कुमाऊं फौजों का, इतिहास गवाही देता है ।
ये प्रांत देश की सेना को ,निर्भीक सिपाही देता है ।
“हलधर” ने ये कविता रच के,घाटी का कर्ज उतारा ।।
ये उत्तराखंड हमारा , ये उत्तराखंड हमारा ।।5
– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून