कृपा करी दीनानाथ अरघ करी स्वीकार!
उगी हाली सूरज देव करी दूर अन्हार !
सजना हमार माई सीमवा पर शोभेले !
सिंहवा दहाड़ पिया दुश्मनवा के खोजेले !
लेई ला अरघ माई सुना विनती हमार!
पहिले अरघ नाम सजना के चढ़ाईब !
दूसर अरघ सास ससुर अंगना के चढ़ाईब!
तीसर अरघ देवे बलका बा तैयार!
खुश होईहा छट माई किरीपा एतना करीहा !
घरवा के संगवा खुशहाल हमरे वतना के करीहा !
मांगी वरदान माई बनावा देशवा जगवा सरदार!
– श्याम कुँवर भारती ( राजभर ), बोकारो झारखंड