मनोरंजन

गीतिका सृजन – मधु शुक्ला

पढ़े वे बहुत पर न बदली नजर है,

सुता से उन्हें पूर्ण लगता न घर है।

 

समझते नहीं ब्याहता की उदासी,

हुआ ज्ञान का कुछ न उन पर असर है।

 

अहं का पिटारा दिया डिग्रियों ने,

उन्हें मित्र की अब न रहती फिकर है।

 

नियम ताक पर रख करें  वे कमाई,

बनाया उन्हें पुस्तकों ने निडर है।

 

असर ज्ञान का यदि हृदय पर पड़े तो,

प्रकाशित रहे न्याय की प्रिय डगर है।

— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश

Related posts

बाला सुंदरी मेला पंडाल में अखिल भारतीय कवयित्री कवि सम्मेलन का आयोजन

newsadmin

गीतिका – मधु शुक्ला

newsadmin

गीत – जसवीर सिंह हलधर

newsadmin

Leave a Comment