एक अहसास अजनबी दिल में.
फिर लगी प्रीत की झड़ी दिल में।
यूँ बिखरती रही सभी यादें,
टीस गहरी अभी सजी दिल में।
आज देखो ज़मीं सुनहरी है,
चाँद की रौशनी खिली दिल में।
यूँ लगा एक पल मिले तुमसे,
साँस की डोर फिर थमीं दिल में।
टूटते ख्वाब की लड़ी बनकर,
चुभ रही प्यार की घड़ी दिल में।
रिस रही नीर ‘पुष्प’ आँखों से,
पीर की बह रही नदी दिल में।
– प्रियदर्शिनी पुष्पा, जमशेदपुर