गगन में रूप चांद सा चमके,
फैले चांदनी सी छटा धरती पर,
मांग में सिंदूर सदा ही दमके ।
पूजे तुम्हें ये संसार सारा ,
अखंड रहे सौभाग्य हमारा “।।
तुम हो साक्षी मेरे प्रेम के,
दीप जलाए नित्य स्नेह के,
अर्घ्य तुम्हें सदा चढ़ाऊंगी ।
हो कामना पूरी मैं मनाऊंगी,
ये जग करे तेरी जयकारा,
अखंड रहे सौभाग्य हमारा ।।
सुहाग का प्रेम सदा मैं पाऊं,
सदा सौभाग्यवती मैं कहलाऊं,
सोलह श्रृंगार कर मांग भरे पिया ।
जब मै इस जग से विदा हो जाऊं,
बरसाए पुष्प घर में मेरा सितारा,।
अखंड रहे सौभाग्य हमारा ।।
भूखी प्यासी सदा रही हूं ,
जीवन के हर कष्ट सही हूं ,
हे चांदनी तुम अब दर्शन दो ।
क्षमा कर अगर कहीं गलत रही हूं,
मेरा सुहाग सदा तुझसे है प्यारा,
अखंड रहे सौभाग्य हमारा ।।
कहती स्नेहा करवाचौथ मनाएंगे,
प्रेम सोहार्द की भावनाओं से,
सदा गीत सुहागिन के गायेंगे।
सोलह श्रृंगार करे जग सारा ,
अखंड रहे सौभाग्य हमारा।।
ममता जोशी “स्नेहा”,
लिखवार गांव ,टिहरी गढ़वाल