मनोरंजन

मैं प्रणाम करूं उन्हें – रोहित आनंद

मैं प्रणाम करूं उन्हें,

मैं प्रणाम करूं उन्हें।।

जो मेरे स्कूल में,

शिक्षक हैं।।

शिक्षक के साथ साथ,

कवि भी हैं वो।।

कवि भी हैं वो,

कवि के साथ-साथ लेखक भी हैं वो।।

लेखक भी हैं,

लेखक के साथ साथ,

मेरे प्रिय शिक्षक भी हैं वो।।

शिक्षक हैं वो,

मेरे प्रिय शिक्षक भी हैं।।

मैं प्रणाम करूं उन्हें,

जो मेरे स्कूल में शिक्षक हैं।।

मेरे जीवन में उनका,

बहुत ही महत्व है।।

महत्व है महत्व है,

मेरे जीवन में उनका।।

कविता और कहानी का रास्ता,

मुझको उन्होंने ही बताया है।।

उन्होंने ही बताया है,

जिनके घर में,

गाने बजाने वाले लोग रहा करते हैं।।

मुझको उन्होंने ही बताया है।।

मैं बात कर रहा हूं,

बंसीपुर के लाल का।।

लाल का लाल का,

बंसीपुर के लाल का।।

जिनका नाम जिनका नाम,

समीर सिंह राठौर है।।

इनके पिता जी का नाम,

पवन कुमार है।।

मैं बात कर रहा हूं,

बंसीपुर के लाल का।।

लाल का लाल का,

बंसीपुर के लाल का।।

मैं प्रणाम करूं उन्हें भी,

जो मेरे स्कूल के निर्देशक हैं।।

धन्य हैं मेरे स्कूल के निर्देशक,

उन्होंने समीर नामक एक शिक्षक को लाया है।।

धन्य हैं धन्य हैं,

मेरे स्कूल के निर्देशक।।

मैं प्रणाम करूं उन्हें,

मैं प्रणाम करूं उन्हें।।

जो मेरे स्कूल में,

शिक्षक हैं।।

मैं प्रणाम करूं उन्हें,

मैं प्रणाम करूं उन्हें।।

जो मेरे स्कूल में,

शिक्षक हैं।।

मैं प्रणाम करूं उन्हें,

मैं प्रणाम करूं उन्हें।।

– रोहित आनंद, बांका

पूर्णिया, मेहरपुर , बिहार

मोबाइल नंबर:~9334720170

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