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कविता – जसवीर सिंह हलधर

ये घटना है इतिहास की ,पूर्व जन्म अहसास की ।

जय हो वीर सुभाष ,जय हो वीर सुभाष की ।।

 

दिल्ली चलो लगाया ,नेताजी ने नारा ।

युद्ध घोष होगा केवल ,जय हिंद हमारा ।

सेनापति की भांति खड़े, फौजी वर्दी में ।

लाल रंग भरने को ,भारत की जर्दी में ।

राष्ट्र पताका सम्मुख,केतु तिरंगा प्यारा ।

युद्ध घोष जय हिंद लगाते,सैनिक नारा ।

धोती कुर्ता नहीं पहनता ,अब बंगाली ।

खाकी वर्दी साथ ,लिए है पिस्टल काली ।

भारत माता को बेड़ी से,कथा नेक प्रयास की ।।1

जय हो वीर सुभाष की —-

 

मुझे खून दो मैं तुमको ,आज़ादी दूंगा ।

घोर दासता से तुमको ,आज़ाद करूंगा ।

सिंगापुर की धरती से ,आवाज लगाई ।

खूनी होली होगी अब, दिल्ली में भाई ।

वर्मा तो जीता अब ,कलकत्ता की बारी ।

नौजवान कर लो, बलिदानों की तैयारी ।

गोरी सत्ता पर हमको ,करना है काबू ।

भाषण देते बोल रहे ,बंगाली बाबू ।

 

नेता जी की वाणी में ,हुंकार एक युग खास की ।।2

जय हो वीर सुभाष की —–

 

कथ्य कथानक नहीं ,भव्य द्वापर त्रेता का ।

आंखों देखा दृश्य लिखा ,अपने नेता का ।

नेता जी ने कहा रिक्त है , कोष हमारा ।

दे दो दान हमें धन दौलत,जो भी प्यारा ।

दान करो अपने बेटों को ,सत्य डगर में ।

हिंद देश आज़ाद करेंगे ,जीत समर में ।

दान दिए आभूषण अपने अवलाओं ने ।

मंगल सूत्र उतरे अपने ,ललनाओं ने ।

बलिदानों की एक कहानी , सत्य कथा अभ्यास की ।।3

जय हो वीर सुभाष की —-

 

हीरे,मोती, माणिक सोना ,दान मिला था।

आह्वान से अंग्रेजी ,अभिमान हिला था ।

आज़ादी की किरण उगी थी ,फूल खिला था ।

भागी जिसमें देश,प्रांत,प्रत्येक जिला था ।

लाल लहू से हस्ताक्षर को ,लगी कतारें ।

सौ सौ की टोली आती ,जब एक पुकारें ।

ऐसा शुभ अवसर यारो ,मैने भी पाया ।

लाल लहू से हस्ताक्षर, मैं करके आया ।

कीमत अदा करेंगे क्या हम ,नेता के उपवास ।।4

जय हो वीर सुभाष की —-

 

पूर्व जन्म की बात और, क्या क्या बतलाऊं।

मैंने देखे दृश्य तुम्हें, कैसे दिखलाऊं।

लोग कहेंगे कवि ये , पागल दीवाना है ।

पुनर्जन्म है मिथ्य यहां, किसको आना है ।

नेताजी को डसा,हमारे ही नागों ने ।

सत्य अहिंसा वाले ,झूठे वैरागों ने ।

पीड़ा से आहत सुभाष ,गुम ज़हां से ।

सत्यापन के तथ्य जुटाऊं, और कहां से ।

“हलधर” ने कविता लिख दी है , बोस त्याग , संन्यास की ।।5

जय हो वीर सुभाष की ——

– जसवीर सिंह हलधर , देहरादून

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