ये घटना है इतिहास की ,पूर्व जन्म अहसास की ।
जय हो वीर सुभाष ,जय हो वीर सुभाष की ।।
दिल्ली चलो लगाया ,नेताजी ने नारा ।
युद्ध घोष होगा केवल ,जय हिंद हमारा ।
सेनापति की भांति खड़े, फौजी वर्दी में ।
लाल रंग भरने को ,भारत की जर्दी में ।
राष्ट्र पताका सम्मुख,केतु तिरंगा प्यारा ।
युद्ध घोष जय हिंद लगाते,सैनिक नारा ।
धोती कुर्ता नहीं पहनता ,अब बंगाली ।
खाकी वर्दी साथ ,लिए है पिस्टल काली ।
भारत माता को बेड़ी से,कथा नेक प्रयास की ।।1
जय हो वीर सुभाष की —-
मुझे खून दो मैं तुमको ,आज़ादी दूंगा ।
घोर दासता से तुमको ,आज़ाद करूंगा ।
सिंगापुर की धरती से ,आवाज लगाई ।
खूनी होली होगी अब, दिल्ली में भाई ।
वर्मा तो जीता अब ,कलकत्ता की बारी ।
नौजवान कर लो, बलिदानों की तैयारी ।
गोरी सत्ता पर हमको ,करना है काबू ।
भाषण देते बोल रहे ,बंगाली बाबू ।
नेता जी की वाणी में ,हुंकार एक युग खास की ।।2
जय हो वीर सुभाष की —–
कथ्य कथानक नहीं ,भव्य द्वापर त्रेता का ।
आंखों देखा दृश्य लिखा ,अपने नेता का ।
नेता जी ने कहा रिक्त है , कोष हमारा ।
दे दो दान हमें धन दौलत,जो भी प्यारा ।
दान करो अपने बेटों को ,सत्य डगर में ।
हिंद देश आज़ाद करेंगे ,जीत समर में ।
दान दिए आभूषण अपने अवलाओं ने ।
मंगल सूत्र उतरे अपने ,ललनाओं ने ।
बलिदानों की एक कहानी , सत्य कथा अभ्यास की ।।3
जय हो वीर सुभाष की —-
हीरे,मोती, माणिक सोना ,दान मिला था।
आह्वान से अंग्रेजी ,अभिमान हिला था ।
आज़ादी की किरण उगी थी ,फूल खिला था ।
भागी जिसमें देश,प्रांत,प्रत्येक जिला था ।
लाल लहू से हस्ताक्षर को ,लगी कतारें ।
सौ सौ की टोली आती ,जब एक पुकारें ।
ऐसा शुभ अवसर यारो ,मैने भी पाया ।
लाल लहू से हस्ताक्षर, मैं करके आया ।
कीमत अदा करेंगे क्या हम ,नेता के उपवास ।।4
जय हो वीर सुभाष की —-
पूर्व जन्म की बात और, क्या क्या बतलाऊं।
मैंने देखे दृश्य तुम्हें, कैसे दिखलाऊं।
लोग कहेंगे कवि ये , पागल दीवाना है ।
पुनर्जन्म है मिथ्य यहां, किसको आना है ।
नेताजी को डसा,हमारे ही नागों ने ।
सत्य अहिंसा वाले ,झूठे वैरागों ने ।
पीड़ा से आहत सुभाष ,गुम ज़हां से ।
सत्यापन के तथ्य जुटाऊं, और कहां से ।
“हलधर” ने कविता लिख दी है , बोस त्याग , संन्यास की ।।5
जय हो वीर सुभाष की ——
– जसवीर सिंह हलधर , देहरादून