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वरदान – जया भराड़े बड़ोदकर

जेहन मे है माँ की करुणा,

प्यार तपस्या और अर्चना।

 

तेरे चरणों मे है दुनिया मेरी,

व्यर्थ हो गई पूजा सारी।

 

हर जगह माँ तू ही तू  है,,

तू ही दिन और रात भी तू है।

 

तंन मन से मै वारी जाऊँ,

चाहू तो भी मै सब समझाऊ।

 

कण -कण मे है तेरी माया,

तू  ही है रमतई तेरा ही साया।

 

तू ही दुख मे तू ही सुख मे,

रहस्य यह मै सारे अब जानू।

तेरी महिमा सबसे प्यारी पहचानू।

 

माँ का आँचल सबसे प्यारा

दुख कष्ट सब भूले जग सारा,

नयन. माँ तेरे ममता की धारा।

 

हृदय पटल तेरा ये दर्पण,

समा जाए सब दुखियों का क्रंदन।

 

कर देती मनोकामना पूरी,

हर जन मन को तू ही तारी।

 

पापी हम अपराधी बहुतेरे,

क्षमा करे तू और जो संकट के मारे।

 

अपरंपार मै माँ भक्ति पाऊँ,

तुझे देख देख मै बलिहारी जाऊँ।

 

तुझ मे ही मै माँ खरी दुनिया पाऊँ,

बाकी दुनिया झूठी कपटी दिखाऊ।

 

अब न माँ छोडू चरण मै तेरे,

संकट कष्ट माँ हर लिए मेरे।

 

सफल हुआ मेरा जीवन सारा,

धन्य धन्य माँ करू वंदनवारा।

 

कोटि कोटि नमन मै करती,

सुख सागर मे मै तर जाती।

 

शांति प्रेम दया करुणा मै पाऊँ,

द्वार तेरा छोड़ मै कही ना जाऊँ

हाथ उठाके  माँ जो चाहूँ सब पाऊँ।

 

ना भूलू तुझे  कभी माँ,

मै ये एक वरदान पा लूँ.

जय जय जय माँ कह,

स्वर्ग सुख पाऊँ।

– जया  भरादे बड़ोदकर

नवी मुंबई,  महाराष्ट्र

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