लाश देख आखें भर आयी, सीने में अंगारे हैं ।
चिड़िया दाना खोजन आयी, बाज झपट्टा मारे हैं ।।
बेबस औ लाचार कली को,तोड़ा है हत्यारों ने ।
देव भूमि में पैर पसारे दानव कुल मक्कारों ने ।
किसको दोषी मानें इसमें ,नेता या शहजादों को ।
भ्रष्टाचारी सरकारों को , या दल्ले जल्लादों को ।
जलती चिता गवाही देती ,लपटों में यलगारे हैं ।।
लाश देख आंखें भर आयी सीने में अंगारे हैं ।।1।।
छोटी छोटी घटनाओं पर, आधी रात जगाते हैं ।
जालिम नेता कहाँ गए जो न्यायालय खुलवाते हैं ।
कोई अंतर नहीं दिखा हमको सरकारी भाषा में ।
कोयल उत्तर खोज रही है कौओं की परिभाषा में ।
फांसी तुरत लगाओ उनको जो जालिम हत्यारे हैं ।।
लाश देख आंखें भर आयी सीने में अंगारे हैं ।।2।।
पित्र पक्ष के पखवाड़े में यह अपराध किया जिसने ।
अपने हांथों ही पित्रों का दूषित श्राद्ध किया जिसने ।
देख देख कर इस घटना को, गंगा भी रोयी होगी ।
पर्वत पर बैठी नंदा ,क्रोधित आपा खोयी होगी ।
गुड़िया की चीखों से क्रोधित गांव गली चौबारे हैं ।।
लाश देख आंखें भर आयी सीने में अंगारे हैं ।।3।।
चौराहों पर मोम जलाकर , जमकर शोर मचाओ अब ।
क्षेत्रवाद का ज़हर खूब, अखबारों में छपवाओ अब ।
गुड़िया की अस्मत पर देखो चैनल कैसे बोलेंगे ।
शव विच्छेदन की आख्या को, विज्ञापन में तोलेंगे ।
सत्ता ने पैसे दे ” हलधर” मात पिता पुचकारे हैं ।।
लाश देख आंखें भर आयी सीने में अंगारे हैं ।।4।।
– जसवीर सिंह हलधर , देहरादून