मुझको मालूम नहीं था ,कि, ऐसा भी होगा।
फूलों से महके चमन में ,फूल संग कांटा भी होगा।।
मुझको मालूम नहीं था———————-।।
कर रहा था तुमको मैं प्यार,प्रेम की मानकर मूरत।
हृदय से तुमको समझा, मैंने एक पाक मोहब्बत।।
सोचा नहीं था तेरा यह मन, मेरा दुश्मन भी होगा।
मुझको मालूम नहीं था——————–।।
करता था तेरी तारीफ,मेरी खुशियां तुम ही हो।
तुमसे मिलने को हूँ उत्सुक, मेरी मंजिल तुम ही हो।।
खबर नहीं थी घर मेरा, तुमसे बर्बाद ऐसे होगा।
मुझको मालूम नहीं था———————-।।
पूछ तू अपने दिल से,ऑंसू कब तेरे बहे हैं।
मेरे लिए जमाने के, कितने जुल्म तुमने सहे हैं।।
नाम बदनाम फिर मेरा, ऐसे तुमसे ही होगा।
मुझको मालूम नहीं था———————-।।
– गुरुदीन वर्मा.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
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