मनोरंजन

चतुर्थ रुप कूष्माण्डा – कालिका प्रसाद

या देवी सर्वभूतेषु  कूष्माण्डा रुपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

 

मां कूष्माण्डा तुम भक्तों की रक्षक

तुम्ही  हो मां  ममता की  खान,

मां तुम ही  हो   कष्टनिवारणी

शांति स्वरूपा  जग  कल्याणी।

 

तुम्हारे आने से नव निधिया आती

फूलों में भी  बहार  आ जाती है,

रिश्तों में  भी  प्यार आ  जाता है

घर में खुशियों की बारात आती।

 

भक्तों  के  तुम  उर में  बसी हो

रोग, दोष ,भय का हरण करती हो,

घृत दीप  मैं तुम्हारे समुख जलाऊं

केसर  पान  सुपारी  तुम्हें चढ़ाऊं।

 

मां कूष्माण्डा करती सब उपकार

नवरात्रि  में  बहे  भक्ति  की धार,

करता हूं मां  नित  तेरी उपासना

ज्ञान, भक्ति का मां मुझे  दान दे ।

 

भक्ति से ही जीवन में शक्ति मिलती

नष्ट कर देती मां सबका अहंकार

मां तेरी शरण में आये है हम सब

अपने चरणों में हमको आश्रय दे।

– कालिका   प्रसाद  सेमवाल

रुद्रप्रयाग   उत्तराखंड

Related posts

ठहर गई हूं – मोनिका जैन

newsadmin

गीत – जसवीर सिंह हलधर

newsadmin

हिन्दी दिवस – डॉ. जसप्रीत कौर फ़लक

newsadmin

Leave a Comment