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हाथ थामो मगर – भूपेन्द्र राघव

हाथ   थामो  मगर   उससे  पहले   सनम….

छोड़   देना   वो   सपने,   रुपहले   सनम…

राह   काँटों    की   मेरे    मुकद्दर   लिखी

जिंदगी  हर  कदम  बद से बद्तर  लिखी

ख़ौफ़   के    सारे    मंजर   मिलेंगे   तुम्हें

आंसुओं    के     समंदर    मिलेंगे    तुम्हें

पत्थरों   का   ज़िगर  देख   दहले  सनम…

हाथ थामो …………… …………… …………

ख़ामख़ा यूं  ही दिल को न समझाओ तुम

जो  हकीकत, हकीकत में  बतलाओ तुम

क्या पता  राह  में  जाने  किस  मोड़  पर

अलविदा  कह  चले  नब्ज  भी  छोड़कर

फिर न मौक़ा मिले दिल की कहले सनम…

हाथ थामो …………. …………… ……………

ना  ही  झिलमिल सितारों  से अब वास्ते

सिर्फ  मुश्किल  के  खारों  से  अब रास्ते

आहों बेबस,  कराहों  की  राहो  में  अब

चलना  बाहों की  केवल पनाहों  में अब

गर चुभन, अपने  पैरों  में सह  ले  सनम…

हाथ थामो ……………

– भूपेन्द्र राघव,  खुर्जा , उत्तर प्रदेश

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