मनोरंजन

गीत – जसवीर सिंह हलधर

मन में रावण बैठा है यदि, बोलो कैसे राम मिलेगा ।

साधन ही दूषित होंगे तो, दूषित ही परिणाम मिलेगा ।।

 

साधन ही आधार योग का, साधन मन को शुद्ध बनाता ।

बिना नियम यम के दुनिया में, कोई सिद्ध नहीं हो पाता ।

वृक्ष बबूल लगाये हैं तो ,फल उसका क्या आम मिलेगा ।।

मन में रावण बैठा है यदि, बोलो कैसे राम मिलेगा ।।1

 

संत वेश में ढोंगी देखो, दुनिया को कैसे ठगते हैं ।

भोग वासना युक्त चटोरे, नारी की इज्जत चखते हैं ।

कितनी भी लंबी हो दाड़ी, काटन को हज्जाम मिलेगा ।।

मन में रावण बैठा है यदि, बोलो कैसे राम मिलेगा ।।2

 

जीवन सच का अनुष्ठान है, आडंबर का तंत्र नहीं है।

पांच तत्व की देह खिलौना, धातु का संयंत्र नहीं है ।

इसे अपावन मत कर बंदे, इससे मोक्ष मुकाम मिलेगा ।।

मन में रावण बैठा है यदि, बोलो कैसे राम मिलेगा ।।3

 

चार दिनों का खेल जिंदगी ,सदियों का मत मानो मेला ।

खाली हाथ सभी को जाना ,साथ न जाये पैसा धेला ।

“हलधर” कर्म साथ जाएंगे ,कविता से पैगाम मिलेगा ।।

मन में रावण बैठा है यदि , बोलो कैसे राम मिलेगा ।।4

– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून

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