रहना सम्भलकर यारों, आई है बाढ़ लुटेरों की।
मुश्किल है इनकी पहचान, यारों इन लुटेरों की।।
रहना सम्भलकर यारों———————-।।
रंगीन है इनकी दुनिया, चेहरे इनके सतरंगी है।
रहते हैं बनकर ये नवाब,ये ऐसे कीट पतंगी है।।
फरेबी है इनकी चालें, यारों इन जेब कतरों की।
मुश्किल है इनकी पहचान, यारों इन लुटेरों की।।
रहना सम्भलकर यारों——————–।।
मीठे बहुत है इनके बोल,नहीं इनका कोई ठिकाना है।
मौजूद हैं हर स्वरूप में ये, दिखाते रंगीन सपना है।।
रसूखदारों से दोस्ती, होती है इन गद्दारों की।
मुश्किल है इनकी पहचान, यारों इन लुटेरों की।।
रहना सम्भलकर यारों———————-।।
फायदा ये उठाते हैं, बेरोजगार मुफलिसों का।
कर देते हैं जीवन बर्बाद, ये लोग मजबूरों का।।
होती है बहुत शातिर गैंग, यारों इन शातिरों की।
मुश्किल है इनकी पहचान, यारों इन लुटेरों की।।
रहना सम्भलकर यारों———————-।।
– गुरुदीन वर्मा.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
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