मनोरंजन

ग़ज़ल – ऋतु गुलाटी

सोचती हूँ जिंदगी मे प्यार का मारा मिला।

भीगती आंखो को फिर से इक नया सपना मिले ।

 

प्यार करते हम बड़ा ही, आपसे सुन लो जरा।

सोचते हर हाल मे तू आँख का तारा मिले।

 

बात दिल की हम कहेगें, है छुपे जज्बात को।

हो मिलन अब साथ तेरे,आज ये मौका मिले।

 

प्यार तेरा है मिला अब क्या खुदा से हम कहे।

मैं करूँ बस अब दुआ ये साथ अब रहना मिले।

 

जिंदगी के मोड़ पर अब सोचती हूँ मैं कभी

है दुआ बस आज मेरा हमसफर तुमसा मिले।।

– ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़

Related posts

रचना को परनाम है – अनिरुद्ध कुमार

newsadmin

मेरी कलम से – क्षमा कौशिक

newsadmin

भोजपुरी गीत (धान के कटनिया) – श्याम कुँवर भारती

newsadmin

Leave a Comment