मनोरंजन

सत्य वचन – जया भराड़े बड़ोदकर

घर महल है

पर अस्पताल घर

हो गया।

 

बहुत सारी सुंदर

गाड़ियाँ भी है

जीवन व्हील चेयर

पे आ गया।

 

भोजन छप्पन भोग

भी है मगर

दवाई  से लाचार

हो गया।

 

समय था बहुत कीमती

अब वह भी

बर्बाद क्यों हो गया।

 

बुढापा थोड़ा बहरा

और अंधा भी होता है

दिमाग से बच्चे सा

हो गया।

 

अंत मे साथ कुछ नही

ये ही भयंकर सत्य

प्रमाणित हो गया।

 

समय रहते ही सब

ईश्वर को सौप दो तभी

और  अंत सुखद

सुंदर जी लिया।

 

गुमान है किस बात का

कुछ भी तो अपने हाथ नही

दसरे के लिए जो

जी लिया

सफल वही  बस

हो गया।

 

जया भरादे बड़ोंदकर

नवी मुंबई, महाराष्ट्र

Related posts

अविस्मरणीय गीत ज्योति कलश छलके के रचनाकार पं. नरेंद्र शर्मा – डॉ.मुकेश कबीर

newsadmin

गीतिका – मधु शुक्ला

newsadmin

हिन्दी भाषा की गौरव गाथा है – कालिका प्रसाद

newsadmin

Leave a Comment