अरे रामा छोड़िके हमरा कहाँ तुहु जइबा,
बरसे आँख हमारी ये हरी।
नेहिया के मातल तोहार परान पियारी,
तोहरे बिना पिया दिन कइसे गुजरी,
अरे रामा धक -धक धड़केले छतिया,
जान अब जाई ये हरी।
सबके सजन अपना सजनी संग रहेले,
तू हमार रानी हम तोहार राजा कहेले,
अरे रामा जनी जा तू परदेशवा ,
माना बात हमारी ये हरी।
जो तुहु जइबा पिया परदेशवा,
नइहर चली जाइब सुना मोर संदेशवा,
अरे रामा अकेले काटे धावे घरवा,
सुनी पड़ल दुआरी ये हरी।
– श्याम कुँवर भारती (राजभर) बोकारो, झारखंड