श्री गणेश मंगल करें, हरें सभी संताप।
भक्तजनों को सताते, नहीं कभी भवताप।।
आते हैं हर साल वह, हो उत्सव की धूम।
मंगलमय सुर-ताल से, तनमन जाते झूम।
देवन के तुम देव गणेश, महेश पिता गजनाथ तुम्हारे।
पारवती तव मातु दुलार, करें सुत पे नित जावति वारे।
पूजन संत-समाज करे, सबसे पहले प्रभु नाम पुकारे।
सिद्धि विनायक सर्व करो, हर लो हर संकट आप हमारे।4
– कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश