अभी बचपन है इनका।
नहीं बनाओ मजदूर इनको।।
उम्र पढ़ने की है इनकी।
अभी पढ़ने दो इनको।।
अभी बचपन है—————–।।
हाथ कोमल है इनके।
मासूम चेहरे है इनके।।
शरीर नाजुक है इनका।
खेलने दो अभी इनको।।
अभी बचपन है —————–।।
मत डालो इनपे ,भार परिवार का।
सपना चुनने दो इनको संसार का।।
मजदूरी के लायक, ये अभी नहीं।
इनकी मंजिल, चुनने दो इनको।।
अभी बचपन है —————–।।
बाल मजदूरी, एक महापाप है।
बालविवाह एक अभिशाप है।।
इन फूलों को , खिलने दीजिए।
गृहस्थी में , नहीं बांधों इनको।।
अभी बचपन है ————–।।-
-गुरुदीन वर्मा.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां (राजस्थान)
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