भारत का मान घटाने को ,तू अपना मान बढ़ाने को !
भूटानी सीमा में घुसकर ,आया तू सड़क बनाने को !!
जल सेना ताकत ज्ञान नहीं ,थल सेना आफत भान नहीं !
जाटों का हमला ज्ञात नहीं ,सिक्खों का अमला ज्ञात नहीं !
गढवाली क्या देखे लड़ते ,रण चंडी खप्पर ले चढ़ते !
तू मर्द मराठे देख जरा ,यदुवंशी पटठे देख जरा !
गुरखों का टोला आता है , दुश्मन का शीश उड़ाने को !!1!!
तूने भारत को जाना क्या ,तू सही सही पहचाना क्या !
राणा के वंशज देख खड़े ,अकबर के अंशज देख खड़े !
घट घट में राम समाए हैं ,हम परशुराम के साये है !
यह धरा लाल हो जाएगी ,कल का सवाल हो जाएगी !
पूरी दुनियाँ फिर कोसेगी ,ड्रैगन की जात मिटाने को !!2!।
ये इतना भीषण रण होगा ,दोनों के लिये क्षरण होगा !
धरती अंबर सब डोलेंगे ,शिव नेत्र तीसरा खोलेंगे !
जब मान सरोवर में शंकर ,फूटेंगे हो कंकर कंकर !
धरती पानी पानी होगी ,तेरी ज्यादा हानी होगी !
भारत की ताकत का तुझको ,आया अंदाज कराने को !!3!!
हुंकार तू सुन ले रघुपति की ,ललकार देख ले नगपति की !
जापान लड़ेगा भारत संग ,दक्षिण कोरिया भी करे जंग !
तेरी गति वापस मोडन को ,बाडेन खड़ा मुँह तोड़न को !
तेरा न चिन्न बच पायेगा,तू छिन्न भिन्न हो जाएगा !
वंशज हूँ विश्व गुरु का मैं ,आया हूँ पाठ पढाने को !!4!!
झगड़ा क्या देखे ओर छोर ,मत बात राड की बढ़ा और !
कुछ हासिल क्या कर पाएगा ,व्यापार ठप्प हो जाएगा !
दोनों की जनसंख्या भारी ,दोनों पर ही ज़िम्मेदारी !
ये धरा हरी सिंह नलवा की ,कविता है “हलधर”कलवा की !
सब देश ताक में बैठे हैं ,हम दोनों के भिड़ जाने को !!5!!
– जसवीर सिंह हलधर , देहरादून
(ओज कवि जसवीर सिंह हलधर, देहरादून की ये कविता इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज़ काव्य संग्रह “अमर जवान ज्योति “से है)