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डोकलाम विवाद (भाग -1) – जसवीर सिंह हलधर

भारत पर पकड़ बनाने को ,यह झूठी अकड़ दिखाने को ।

भूटान देश की सीमा में, ड्रैगन आ गया डराने को ।।

 

खिंच गया मांथ संसय लेखा ,टूटी अतिक्रमण की रेखा ।

अपनी सीमा की रक्षा में ,भूटान नरेश प्रतीक्षा में ।

भूटान नरेश दिखे व्याकुल ,भारत की सैना भी आकुल ।

ड्रैगन तन कर के खड़ा हुआ ,दादा बन कर के अड़ा हुआ ।

भारत की सेना पहुँच गयी ,ड्रैगन को सबक सिखाने को ।।1।।

 

लेकिन वो जिद कर बैठा था ,उल्टा भारत पर ऐंठा था ।

सेनायें सम्मुख आयी थी , आपस में हाथा पायी थी ।

लड़ने को वो तैयार खड़ी,रण चंडी पैर पसार खड़ी ।

डोभाल बीजिंग को धाये, जिंगपिंग को समझा के आये ।

बोले शांति का दूत मान , आया विध्वंश बचाने को ।।2।।

 

अपना पूरा रुख जता दिया ,सीधे शब्दों में बता दिया ।

भारत ना बासठ वाला है ,दुश्मन के लिये उठाला है ।

भारत की टीस बढ़ायेगा , टुकड़े टुकड़े हो जायेगा ।

यदि मर्यादा तू तोड़ेगा ,अपनी ही किस्मत फोड़ेगा ।

मैं बुद्ध भूमि से आया हूँ,तेरा मन शुद्ध कराने को ।।3।।

 

भारत को रोक नहीं सकता , आफ़त को रोक नहीं सकता ।

ना डॉकलाम ले पायेगा , अक्साई भी दे जायेगा ।

मत चल असाध्य को साधन को , मत चल भारत को बांधन को ।

हम बुद्ध भाव सौदाई हैं , तू बुद्ध धर्म अनुयायी है ।

आया तुझको समझाने को , तेरी औकात दिखाने को ।।4।।

 

हमने दुनियां को बुद्ध दिये ,महाभारत जैसे युद्ध दिये ।

तू रख अपनी धरती तमाम ,हम छोड़ न पाएं डोकलाम ।

यदि बात समझ में ना आयी,तो रोयेंगी चीनी मायी ।

बोटी बोटी कट जायेंगे ,हम इंच नहीं हट पायेंगे ।

बच्चा बच्चा तैयार खड़ा ,”हलधर” रण में मिट जाने को ।।5।।

जसवीर सिंह हलधर , देहरादून

(ओज कवि जसवीर सिंह हलधर, देहरादून की ये कविता इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज़ काव्य संग्रह “अमर जवान ज्योति “से है)

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