निर्णय ले आया घट घट नया उजाला ।
अब राम लला का मंदिर बनने वाला ।।
अपने सिर पर अब पाप नहीं ढोएंगे ।
अरि के शोणित से ही कलंक धोएंगे।।
सस्ती सुकीर्ति पाकर जो फूल रहा है ।
वो पैंसठ और इकत्तर, भूल रहा है ।।
वो आतंकी हमको क्या समझे बैठे ।
जो पाक ,चीन के दम पर रहते ऐंठे ।।
ये भारत अब पहले सा नहीं सरल है ।
छूकर तो देखो बहती हुई अनल है ।।
ठंडा करना है क्रोध प्रबुद्ध प्रजा का ।
मुल्लों को समझा देंगे धर्म ध्वजा का ।।
खोई निष्ठा अब दुनियां में पाने को ।
भारत अब दौड़ रहा आगे आने को ।।
चीनी चूहों के दंत बड़े घातक हैं ।
घर में भी तो गद्दार खड़े पातक हैं ।।
कुछ ढोंगी मज़हब की आयत पढ़ते हैं ।
जो रोज धर्म के नए नियम गढ़ते हैं ।।
जिनको भारत माता की लाज न प्यारी ।
घर में ही कुछ बैठे हैं अत्याचारी ।।
कुछ नेता मुल्ले नंबरदार बने हैं ।
कुछ पाक देश के पैरोकार बने है ।।
जो आतंकी को मित्र कहा करते हैं ।
वाणी से जिनके गरल बहा करते हैं ।।
विघटन की बातें करते नेपाली को ।
भारत ढकता है जिसकी कंगाली को ।।
फारुक आतुर है जिसके घर जाने को ।
वो खुद भूखा है अन्न नहीं खाने को ।।
जिनकी वाणी में गरल घुला है यारो ।
ऐसे मक्कारों को मिलकर ललकारो ।।
यदि कोई अपना चलता रथ रोकेगा ।
तो भारत उसको घर में घुस ठोकेगा ।।
सर तन से जुदा जैसे मत बोलो नारे ।
क्या नबी बनाता है तुमको हत्यारे ।।
सुलगेगा इससे राख दबा अंगारा ।
छोटी छोटी बातों से करो किनारा ।।
भाषा की मर्यादा को मत तोड़ो रे ।
भारत के रथ को सही दिशा मोड़ो रे ।।
हलधर”कविता अंगारा है सच मानो ।
घर में बैठे दुश्मन को भी पहचानो ।।
– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून