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गीतिका — मधु शुक्ला

रहे तिरंगा श्रेष्ठ, यही अपना सपना,

स्वप्न करे जो पूर्ण, उसी पथ पर चलना।

 

ध्वज का कर सम्मान, खुशी मन पाता है,

देकर अपनी जान, इसे ऊँचा रखना।

 

झंडे की कर बात, खिले आनन हरदम,

भारत देश महान, यही हमको सुनना।

 

होता हमको गर्व, कि हम भारतवासी,

मातृभूमि के हेतु, हमें कुछ भी करना।

 

सखा हमारा देश, पिता, माँ, भाई यह,

बहन और मन मीत, यही सच्चा गहना।

— मधु शुक्ला , सतना, मध्यप्रदेश.

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