बंसी बजैइयाँ ब्रज का कन्हैयाँ,
माखन खाये मेरा रास रचैइयाँ ।
ग्वाल-वाल संग बन में वो जाये,
गैया चराये वो बासुरी बजाये,
गैया झूमें ओ ग्वाले भी झूमें,
सबका प्यारा ये कृष्ण-कन्हैयाँ
बंसी बजैइयाँ ,ब्रज का कन्हैयाँ ।
ब्रज गोपीयाँ कान्हाँ को सताये,
घेरा बनाये वो बासुरी चुराये,
कान्हा घट फोड़े,ओ राधा छेड़े।
सबका प्यारा ये कृष्ण-कन्हैयाँ,
बंसी बजैइयाँ ,ब्रज का कन्हैयाँ ।
राधा सखियाँ एक की चार लगाये,
माता यशोदा और डाँट लगाये,
कान्हाँ रोये ओ मैया भी रोये,
सबका प्यारा ये कृष्ण-कन्हैयाँ,
बंसी बजैइयाँ ,ब्रज का कन्हैयाँ ।
– झरना माथुर, देहरादून, उत्तराखंड