विश्व बोध के उन्नायक हैं हम भारत के लोग।
जन-गण भी हैं अधिनायक हैं हम भारत के लोग।।
जगा हुआ है संप्रभुता में संस्कृति का उल्लास,
पगा हुआ है देश – राग में प्रेम और विश्वास,
सद्भावों के परिचायक हैं हम भारत के लोग।।
संविधान देता है हमको अधिकारों का दान,
कर्तव्यों का पालन कर, करते हैं हम प्रतिदान,
संकल्पों के संचायक हैं हम भारत के लोग।।
व्यष्टि भाव से समष्टि तक का यहां समंजन है, \
कुटिल-कुचालक हेतु दंड है और प्रभंजन है,
न्याय-एकता के गायक हैं हम भारत के लोग।।
जाति-धर्म सबसे ऊंचा है अपना प्यारा देश,
इसकी ख़ातिर हम राजा हैं हम ही हैं दरवेश,
सत्ताओं के निर्णायक हैं हम भारत के लोग।।
– रश्मि शाक्य, गाज़ीपुर , उत्तर प्रदेश