हर घर पे लहराये तिरंगा
देश की शान बढाये तिरंगा ।।
वीरों की क़ुर्बानी की
गाथा हमें सुनाये तिरंगा ।।
एक बनो और नेक बनो
हम को यह समझाये तिरंगा ।।
ज़ात-पात और मज़हब के
सारे भेद मिटाये तिरंगा ।।
हम सबको है क़स्म देश की
कभी न झुकने पाये तिरंगा ।।
देश पे मिटने वालों पर
अपनी जान लुटाये तिरंगा ।।
हम सबकी पहचान इसी से
सबके मन को भाये तिरंगा ।।
इसकी अज़्मत पे नाज़ करें
देखें जब हमसाये तिरंगा ।।
सीमाओं पर आज भी देखो
कैसे जोश जगाये तिरंगा ।।
मेरा आँचल उड़े हवा में
और ‘फ़लक’ बन जाये तिरंगा ।।
-जसप्रीत कौर फ़लक, लुधियाना