भारत विश्व का आकाश है ,
जमीन है जहान की सारी दुनिया ,
ये महानता का बढ़ता आकार है ।
सुर नर मुनि की पहली पसन्द है ,
वीरों के आन की सौगन्ध है ,
देवों के दिल की पुकार है।
बगिया की महकती सुगन्ध है,
खिलता खिलखिलाता उपवन है ,
अनगिनत फूलों की हार है ।
विराट हिमालय तेरा प्रियतम है ,
धमनियों में तेरी बहती गंगा की धार है ,
चरणों को धोता हिन्द सा सागर है ।
बलिदानी भारती को खून दे गए हैं,
अनेकों पीढ़ियों को जुनून दे गए हैं ,
वतन परस्तों की तू जिगर है ।
सुबह तेरी केसरिया से रंगी है
दोपहरी के चमक में चढ़ी सफ़ेदी है,
धरती पहनी हरी सी चूनर है ।
ओजस्वी है तू अखण्ड है ,
तेज़ है तू वेग तेरा प्रचण्ड है ,
दिव्य तेरी रश्मियाँ”चमक इसकी प्रखर है ।
– रश्मि सिन्हा “शैलसूता”, ऑटवा, कनाडा