मनोरंजन

खुशहाल लगे – अनिरुद्ध कुमार

मृगनैनी चितचोर चकोरी, यौवन की सुरताल लगे।

मृदुभाषी हर ले चित चैना, जीवन मालामाल लगे।

 

मुखरित हो जाये हर कोना, मनमोहक है नजराना।

आकर्षित तनमन लहराये, जनजीवन बेहाल लगे।

 

भरमाये मुस्काये हर पल, प्राण पखेरू गान करे।

अलक पलक लपके इतराये, इठलाती भूचाल लगे।

 

नागिन सी चोटी बलखाये, लटक झटक बेचैन करे।

कन बाली गालों को चूमें, उम्र सोलहवां साल लगे।

 

कजरारे नैनों की पुतली, चपला सी क्या खेल करे,

आंचल लहरे फहरे लोटे, सागर नौका पाल लगे।

 

मालिक की ये कैसी रचना, आकर्षण इसमें कितना

जीवन को ये मोहित कर दे, हर कोई खुशहाल लगे।

-अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड

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