मनोरंजन

प्रवीण प्रभाती – कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

भजन वर्ष भर चलते रहते,

सावन में कांवड़िए चलते।

गंगा से गंगाजल लाकर,

पार्थिव को अभिसिंचित करते।

 

कृष्ण पक्ष में धूम मचाते,

बम भोले से नभ गुंजाते।

शुक्ल पक्ष में तीज मना कर,

सुहागिनों के भाग्य जगाते।

<>

भाल आपके चंद्र सोहता,

भक्त जनों का हृदय मोहता।

छवि आंखों से कभी न ओझल,

दर्शन के मन बाट जोहता।

 

जटाजूट में गंग विराजें,

भस्म-विभूति अंग पर साजें।

मन से शिव के भजन गा रहे,

शंख मृदंग संग में बाजें।

– कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश

Related posts

गज़ल – झरना माथुर

newsadmin

आपरेशन विजय – हरी राम यादव

newsadmin

‘कलम के जादूगर’ समूह द्वारा लखनऊ में 48 रचनाकारों को किया सम्मानित

newsadmin

Leave a Comment