तोहरे खातिर तड़पे हमरो परनवा |
काहे भूली गइला हमके सजनवा |
सावन के बहार रहे
बरखा के फुहार रहे |
बिरह में बरसे मोर नयनवा |
काहे भूली गइला हमके सजनवा |
मनवा उदास रहे ,
मिलन के प्यास रहे |
देखि देखि ताना मारे हमके जमनवा |
काहे भूली गइला हमके सजनवा |
केहु जाला पूरब पश्चिम ,
केहु मुलतानी |
हमरा के छोड़ी के पिया
कईला नादानी |
कहा चली गइला हमरो सजनवा |
काहे भूली गइला हमके सजनवा |
अँखिया से रही रही बहेला निरवा |
बितली उमरिया मोर गिनते दिनवा |
रहिया तकत मोर छछने परनवा |
काहे भूली गइला हमके सजनवा |
लगवे जे रहता पिया हिया से लगवती।
देखी देखी तोहके जिया हम जुड़वती।
खन खन खनके मोर बैरी कंगनवा ।
काहे भूली गईला हमके सजनवा।
चमके जब बिजुरिया दिल दरदिया बढ़ावे।
झम झम बरिस बरखा धरती पियसिया जुड़ावे।
अंग अंग लहके मोर उमडल बदनवा।
काहे भूली गईला मोर हमके सजनवा
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
गीतकार /कवि /लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड -मोब . 9955509286