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साहित्य सम्राट प्रेमचंद – निहारिका झा

लमही गांव मे जन्म लिया,

नाम था धनपत राय।

मां उनकी आंनदी देवी,

पिता अजायब राय।1।।

 

लगन लगी थी पढ़ने की

ग्रन्थ सभी पढ़ डाले।

पर रोजी रोटी खातिर

काज शिक्षा अपनाय।2।।

 

जज्बा मन मे देश  का

किया कलम से वार

दमन किया फ़िरंगी ने

पद से दिया हटाय।।3।।

 

सहे  जुल्म कितने भी,

पर हार न माने राय।

नाम बदल के प्रेमचंद,

किये व्यक्त उद्गार।।।4।।

 

खूब कमाया नाम को,

धन का रहा अकाल।

फांके ने था रोग दिया,

तज गए वो संसार।।5।।

 

उनके ऋण से है ऋणी

ये साहित्य  संसार।

लेखनी सम्राट को,

नमन है बारम्बार।।6।।

– निहारिका झा,खैरागढ़ राज.(36 गढ़)

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