मनोरंजन

हिन्दी गजल – मधु शुक्ला

जबां पर मोहब्बत बगल में छुरी का,

चलन है यही अब मिलन की घड़ी का।

 

नहीं व्यक्ति की हैसियत कुछ यहाँ पर,

बजन नप रहा जेब बल की छड़ी का ।

 

न माना कहा सिर्फ बेटी बहू को,

दिया नाम केवल सुता को परी का।

 

बसाया सजाया सदन को जिन्होंने,

न जिन्दा रहा नाम घर में उन्हीं का।

 

न कुछ साथ जाये पता यह सभी को,

रखें लक्ष्य धन ही सभी जिंदगी का।

 

✍️ मधु शुक्ला. सतना, मध्यप्रदेश .

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