मनोरंजन

याद – विनोद शर्मा विश

तुम्हारी चाहत है इतनी ख़्वाब में दिखो न दिखो,

सुकुन जरुर मिलता है तुम्हें याद करके मुझको।

 

तुम ही जिंदगी भर के लिए हमें उदास कर गई,

कहती थी तुम्हारे  चेहरे पे उदासी अच्छी नहीं।

 

तुम्हारी चाहत है इतनी ख़्वाब में दिखो न दिखो,

सुकुन जरुर मिलता है याद तुम्हें करके मुझको।

 

मैं कागज़ पर दर्द बिखेरता रात भर लिखता रहा,

तुम छू गई बुलंदियाँ आसमां में सितारों से आगे हो।

 

तुम छिपती रही और मैं तुम्हें लफ्जों में ढूंढता रहा,

दरख़्त होता टूटता,था नाज़ुक डाली झुकता गया।

 

बदल देते हैं यहाँ लोग रंग को अपने-अपने ढंग से,

रंग मेरा था खरा पर मैं मेहँदी की तरह पीसता रहा।

 

जल्दी थी जिनको वो बढ़ते चले मंज़िल की ओर,

रात भर मैं स्याही का कलम से राज सीखता रहा।

 

अभी तो सूरज भी नहीं डूबा जरा शाम तो होने दो,

लिखना रोक दूंगा मैं खुद ही शब्द खत्म तो होने दो।

 

मेरा लिखने का बहाना बंद करना चाहता है जमाना,

#विनोद न लिखेगा #रेखा याद न आये ऐसा होने तो दो।

—-विनोद शर्मा,  दिल्ली

Related posts

प्रवीण प्रभाती – कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

newsadmin

कठपुतली कला को देख बच्चों की गुंजेगी किलकारी : सुनील कुमार

newsadmin

कविता – कविता बिष्ट

newsadmin

Leave a Comment