मनोरंजन

गज़ल – झरना माथुर

कैसे मै भूलू तुमको जब तुमसे ही प्यार है,

माना दूर है मुझसे पर तेरा ही इन्तज़ार है।

 

आँखों  में सूरत तेरी लगता है तू पास है,

अब तो मेरे सासो की बस तू ही झंकार है।

 

ये मुमकिन कब है प्रीतम दोनों का एक हो सफ़र.

पर साकी के पैमाने से कब तुझको  इन्कार है।

 

अब खूं मे है मेरे दिलकश की  मोहब्बतों-जुनूँ ,

अहवाल अब ये मेरा अब वो मेरे सरकार है।

 

तौबा तौबा है “झरना” तेरे ऐसे इश्क़ का,

उसको इल्म ही कब तेरा, कब तेरा इकरार है।

– झरना माथुर, देहरादून , उत्तराखंड

Related posts

गीतिका – मधु शुक्ला

newsadmin

पूर्णिका – मणि बेन द्विवेदी

newsadmin

पोषक – ज्योत्स्ना जोशी

newsadmin

Leave a Comment