मनोरंजन

इंतजार – इंद्रसेन यादव

सच में..

तेरा इस तरह नजरे चुराना

अब अखरने लगा है ,

बेदनाये शीर्ष पर है

और मन…

धरातल पर तेरा दीदार

करने को उद्दीप्त ,

माना की तेरे बेरुखी का

कारण मैं ही हूँ,

पर अब….

ये सांसे थमने सी लगी है,

कहीं टूट ना जाये

ये सांसे…!

तेरे मिलन की आस में

जो अब तक स्पंदित हैं ,

अब तो आकर….

अपनी बाहों में समेटकर

मंद पड़ी हुई धमनियों को

गति प्रदान कर दो ,

ओ मेघा…!

अब तो आ जा

अब तो आ जा …!

– इंद्रसेन यादव , प्रवक्ता, आजमगढ़

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