रही डेढ़ साल की आयु जब,
हो गयी अचानक बीमारी।
इस कारण चली गयी दृष्टि,
सुनने की क्षमता भी हारी।
सामान्य रही न दिनचर्या
अब परिजनों का ही सहारा था।
शारीरिक दोष हुए थे पर,
उसका मन कहीं न हारा था।
दृढ़ इच्छाशक्ति,आत्मबल से
आरंभ किया उसने पढ़ना।
जीवन को प्रेरक बना लिया
उससे सीखें जीवन गढ़ना।।
वंचित जो देखने सुनने से
ऐसी थी प्रथम कला स्नातक।
द स्टोरी ऑफ माय लाइफ
की थी वह चर्चित लेखक।
राजनीति में भी रही रुचि,
सामाजिक हित जीया जीवन।
हेलन केलर की जयंती पर
करता है ‘अनिल’ शत बार नमन।।
* डॉ. अनिल शर्मा ‘अनिल’
धामपुर, उत्तर प्रदेश