मनोरंजन

आशीर्वाद – जया भराडे बडॉदकर

रिमझिम सी जिंदगी में

बूंद बूंद खिल खिला रही हैं,

बादलों ने देख कर सूरज

को कैसे कैद कर लिया है,

फिर भी नटखट किरणें

शरारतो से  बाज नहीं आ रही हैं,

बार बार वो छन-छन कर

बाहर छिटक के खेलने को आ रही हैं,

संसार सुनशान हो गया है

रास्ते सूने से हो गए हैं,

हर पगदंडी बारिश की

बूंदों से खेल रही हैं,

मुसाफिर नहीं आने वाला

अब ये गुमान कर रही हैं,

फूलों ने, पत्तों ने, डालियों पर

खुलके डेरा डाला है,

खुश रहो मस्त रहो जाओ

जैसे ये संदेश दे डाला है,

दुनिया में इनके जैसे

कहाँ कोई मतवाला है

चारों तरफ खुशियों का

संसार सजा डाला है,

आज करे कोई मन्नत

तो पूरी जरूर होगी

प्रकृति ने जैसे सबको ये

आशीर्वाद दे डाला है।

– जया भराडे बडॉदकर

नवी मुंबई, महाराष्ट्र

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