तुम जुडे हो मेरे रूह से,
हो न ओझल नैनो से,
हर पल देखूं राह तुम्हारी,
बावरा मेरा मन तुम बिन ।
दिन की शुरूआत तुमसे,
मध्याह्न की याद तुमसे,
शाम भी प्रतीक्षारत तुमसे,
बावरा मेरा मन तुम बिन।
ये तन्हा तन्हा सफर है,
कितना कठिन डगर है,
एकाकी जिन्दगी का पल,
बावरा मेरा मन तुम बिन ।
सांसो की खुशबू भी तुमसे
दिल की धड़कन भी तुमसे
बैरन हो गई निदिया मेरी
बावरा मेरा मन तुम बिन ।
– सत्या पांडेय, प्रयागराज , उत्तर प्रदेश