कौन ? वो चाँद सा दुलारा है,
दिलकशी जाम अब तुम्हारा है।
बेवुज़ू आँख अब सताती है,
तुझसे मिलना कहे सहारा है।
अब भले वो करे सितम हम पर,
यार हमको बड़ा ही प्यारा है।
चोट खायी दुआ लबो गालिब,
आज तेरी दुआ का मारा है।
तुम जुनूँ हो कि आरजू मेरी,
प्यार मे * ऋतु* हबीब हारा है।
– रीतू गुलाटी..ऋतंभरा.. चंडीगढ़