सदा पक्ष में ही लहू बोलता है,
करे खिलाफत उसे डांटता है।
करे हरकतें कष्टदायी पड़ोसी,
रहे चुप न भाई उसे फोड़ता है।
सुरक्षित रखें घर सभी लोग मिलके,
अमन, चैन होता नहीं लापता है।
रहें पास या दूर टूटें न रिश्ते,
मिलन से घरों में सुकूं राजता है।
न ‘मधु’ प्रेम को त्याग धन को कमाना,
पराया न जज्वात को जानता है।
— मधु शुक्ला .सतना, मध्यप्रदेश .