गौ, गीता, गंगा, गायत्री,
इनका पूजन वंदन नित करो,
शीश झुकाओ इन सब को,
तुमको मिल जायेगा आशीष।
गौ जननी इस धरा की,
बतलाते है सब शास्त्र ,
इसके तन तैतीस कोटि देवता,
सभी करे सुरभि की सेवा।
गीता देती युद्ध भूमि में,
जीवन जीने का उपदेश,
हारे मन को जीत दिलाता,
गीता का सन्देश।
गंगा मां है जीवन दायनी,
नित बहती है इसकी धारा,
इस धरा धाम से जाने पर भी,
मां के जल से भव सागर तारता।
गायत्री वेदों की माता,
नित करो गायत्री का जाप,
हमें देती सुख शान्ति सम्पदा,
जीवन में आयेगी समृद्धि।
– कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड