मनोरंजन

वर्ष गया यूँ बीत – प्रियदर्शिनी पुष्पा

शिला लेख पर अंक हो, वर्ष गया यूँ बीत।

स्मृतियों का उपहार दे , चले गये हो मीत।।

 

हर्ष भाव को मार कर , ऐसे भागा शीत।

पतझड़ में तरु से विलग, गिरे पात हो पीत।।

 

आगत का उत्साह अति, विगत हृदय का मीत।

द्वारे पर मेहमान नये , पर हिय भीतर रीत।।

 

जीवन नव विस्तार यहाँ, बोते हैं नव ज्वार।

भरने वैभव मान को, आई माता द्वार।।

 

वंश वृद्धि वरदान दें, चित्त वृत्ति में ध्यान।

दुःख विपदा को दूर कर , देती सुख का दान।।

 

माया मोह बनी रहे , निर्मल काया कांति।

प्रबल शक्ति औ भक्ति से, मन में निर्भय शांति।।

– प्रियदर्शिनी पुष्पा, जमशेदपुर

Related posts

कविता – जसवीर सिंह हलधर

newsadmin

ग़ज़ल (हिंदी) – जसवीर सिंह हलधर

newsadmin

सोशल मीडिया पर हरियाणवी रागनी एवं रचनाओं से समाज को संदेश देते मौजु डॉक्टर दिनोद – डॉ. सत्यवान सौरभ

newsadmin

Leave a Comment