जन्म लिया छोटे से गांव में,
14 अप्रैल को महार जाति में,
पिता रामजी मालोजी सकपाल थे,
माता भीमाबाई के ये तो पुत्र थे ,
बालापन में माता छोड़कर स्वर्ग सिधारीं,
चाची बनी तब इनकी पालनहारीं,
विषमता में पलके ये बढ़े हो गए,
कुशाग्र बुद्धि के धनी भी हो गए।
पिता ने देखी जो कुशाग्रता,
शिक्षा दिलाई इनको उच्चतम,
नये भारत का इनके देखा सपना,
पढाई में लगाया तब दिल अपना,
अमेरिका इंग्लैंड में जाकर पढ़े,
समाज शास्त्र दर्शन शास्त्र भी पढ़े,
अद्वितीय प्रतिभा के ये धनी थे,
जिससे कानून मंत्री फिर बने थे,
संविधान बनाया भारत का ,
नया भारत तब इनने सजाया था,
दलित के बने थे फिर हितकारी,
काम किये बड़े समाज के हित में,
नये भारत व राष्ट्र के हित में,
मरणोपरांत भारत रत्न मिला था,
बाबा अंबेडकर नाम पड़ा था,
महान आत्मा थे भीमराव जी,
नमन नमन नमन अंबेडकर जी।
– सुषमा वीरेंद्र खरे सिहोरा, जबलपुर मध्यप्रदेश