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सो जा मेरी नन्हीं परी – चेतना कपूर

neerajtimes.com- लोरी ….जिंदगी का पहला गीत । जिसे शब्दों से नहीं , एहसासों  और माॅं की प्यार भरी थपकी से महसूस करता है नन्हा बचपन । लोरी प्रतीक है माॅं और शिशु के खूबसूरत नैसर्गिक संबंध की । विज्ञान के मुताबिक भी ये एकमात्र ऐसा कनेक्शन है जो रिद्म , बोल , थपकी और लय से जोड़ता है  और मजे की बात है कि इससे जुड़कर माॅं और शिशु दोनों का तनाव दूर होता है ।
लोरी..सुकून की पराकाष्ठा है, अतः इस में शांति और सुरक्षा के भाव स्वतः शामिल हो जाते हैं । जो  शिशु को परम आनंद की अनुभूति प्रदान करते हैं। तभी तो माॅं से सुनी लोरी के बोल याद आते ही किसी भी उम्र के व्यक्ति के चेहरे पर सुकून भरी मुस्कान उभर आती है।
दूसरी ओर मां लोरी के माध्यम से अनायास ही वो सब बोल जाती है जिसे वह अपने शिशु के बारे में जो सोचती है, महसूस करती है । वह हृदय तल से उभरी लय में थपकी  देती सहज भाव से अनायास ही कह जाती है । पारदर्शी ,निश्छल और मासूम बंधन की इस से बड़ी मिसाल क्या होगी ?
आज के आपाधापी भरे जीवन से साहित्य की यह विधा लुप्तप्राय महसूस कर चेतना जी की लेखनी ने इसे पुनः सृजित कर आज की पीढ़ी को जोड़ने की  न सिर्फ कोशिश की, बल्कि इसे संगीतबद्ध कर नई पीढ़ी को यह खूबसूरत उपहार दिया है,क्योंकि उनका मानना है कि कलमकार का दायित्व सिर्फ आज पर लिखना ही नहीं है अपितु अपने समाज की लुप्त प्राय होती खूबसूरत धरोहरों से समय-समय पर नई पीढ़ी से जोड़ना भी है ।

चेतना कपूर जी की लेखनी को स्वर और संगीत से जोड़ कर सुकून भरी लोरी का स्वरूप दे कर कर्णप्रिय बनाया है.. मुंबई की उभरती गायिका सुहा सरकार ने ।
लोरी
सो जा मेरी नन्हीं परी लोरी  सुनाऊँ ।
बाहों के झूले में तुझे झूला झुलाऊँ…!
ठंडी हवा चूमे तुझे मेरी दुलारी…
चांद तुझे देखा करे छुपके लाड़ली
ख्वाब तेरी आंखों में चुन चुन मैं सजाऊँ…
आके तुझे सबसे मैं आंचल में छुपाऊँ ।
सो जा मेरी नन्हीं परी लोरी सुनाऊँ ..
बाहों के झूले में तुझे झूला झुलाऊँ….!
इसे यू ट्यूब पर सुन कर आनंद लिया जा सकता है।

 

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