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गीत (कोरोना का तांडव) – जसवीर सिंह हलधर

सब चिकित्सक मौत से जीवन बचाने में लगे थे ।

वीर सैनिक देश की सरहद रखाने में लगे थे ।।

 

लोभ लालच के गणित में लालची फिर भी पड़े थे ।

कुछ कमीने उस समय भी लाभ अर्जन पर अड़े थे ।

ऑक्सीजन की कमी, वितरण समस्या आ रही थी ,

कुछ विपक्षी उस समय मुद्दा भुनाने में लगे थे ।।1

 

हर गली हर गांव में इस रोग का तांडव मचा था ।

भाग्यशाली मानता जो रोग से बाकी बचा था।

आपदा अवसर बनी थी कुछ दवा व्यापारियों को,

दाम औषधि के बढ़ाकर धन कमाने में लगे थे ।।2

 

मौत पर श्रद्धांजली लिखने में उँगली काँपती थी ।

एक दिन को जिंदगी यूँ साल जैसा नापती थी ।

मरघटों पर लकड़ियों की भी कमी होने लगी थी ,

और कुछ पुरुषार्थी लाशें जलाने में लगे थे ।।3

 

देख कौतुक चैनलों के शर्म से सर झुक रहा था ।

और मेरा क्रोध से हर दिन कलेजा फुक रहा था ।

मर्सिया के सुर सुनाई दे रहे थे हर गली में ,

शे’र “हलधर” कौम को ढांढस बँधाने में लगे थे ।।4

– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून

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