अदभुत होती है ,
ईश्वर सम् दया की मूरत
क्षमा का गहना पहने और
प्रेम ममता की दृष्टि से,
सारे अपराधों करे हम,
फ़िर भी अपने आँचल में
समा लेती है।
ना मंदिर ना गुरुद्वारा
ना चर्च ना मस्जिद,
ये ईश्वर रचित माँ
घर घर को,
पावन कर देती है।
हर दु:ख दर्द की एक ही दवाई
माँ तेरी एक दुआ से
सब मुश्किलें मिट जाती है
ना मांगे कभी कुछ भी,
वो तो खुद
सारी दुनिया लूटा देती है।
कोटि कोटि नमन है चरणों में
जो सारे जहाँ मे
एक तू ही तो
नि:स्वार्थ भाव से
सारी दुनिया पर
खुशियाँ लुटाती है।
जया भराडे बडोदकर
नवी मुंबई महाराष्ट्र