मनोरंजन

पहरेदार हूँ मैं – मुकेश तिवारी

कडकती  बिजलीयाँ , बारिशी  किरदार हूँ मैं,

परिंदो से पूछों  घने  बादलों  का पहरेदार हूँ मैं।

 

तूफानों से  सूनामीयों  से  मुझे  परहेज नहीँ,

बारिशों से बनी हर – बूँद  का  हकदार  हूँ मै।

 

समुन्दर की  लहरों  में  डुबना  मुझें आता है,

अन्धेरी रातों  का वो  मंज़र  मुझें सहलाता है।

 

कैसें  साहिलों  का  साथ छोड़ दूँ, मझदार में,

सितमगर पर्वतों का पत्थरों में कर्जदार हूँ मैं।

 

झरने गवाह है,मेरी हसरत के दरिया से पूछों,

चाँद निकले और चहके, यही  इन्तज़ार हूँ मै।

 

सितारों से चमक का दम भरूँ, मैं  क्या करूँ,

हवाओं के सँग चलती  इठलाती बयार हूँ  मै।

 

कडकती  बिजलीयाँ , बारिशी  किरदार हूँ मैं,

परिंदो से पूछों  घने  बादलों  का  पहरेदार हूँ।

 

तूफानों से  सूनामीयों  से  मुझे   परहेज नहीँ,

बारिशों से बनी हर – बूँद  का   हकदार  हूँ मै।

– मुकेश तिवारी  “वशिष्ठ”  इन्दौर,  मध्यप्रदेश

Related posts

सरसी छंद – मधु शुक्ला

newsadmin

9 -10 जून को अयोध्या धाम में होगा साहित्य कला और संगीत का संगम – डॉ० तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु

newsadmin

ग़ज़ल – रीता गुलाटी

newsadmin

Leave a Comment